Panwali Kantha | पांवली कांठा बुग्याल

Panwali Kantha - पांवली कांठा बुग्याल 

" खूबसूरत पहाड़ी रास्तो और प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर है ,पांवली कांठा बुग्याल ट्रेक "

आज जिस जगह के बारे में हम आप को जानकारी देने जा रहे है वह देव भूमि उत्तराखंड में टेहरी गढ़वाल में स्थित एक खूबसूरत जगह है - Panwali Kantha | जी हाँ वही टिहरी गढ़वाल जहाँ एशिया का सबसे ऊँचा बांध टिहरी बांध बनाया गया है | टिहरी अभी तक उतना ज्यादा पर्यटक स्थलों के लिए प्रसिद्द नहीं हो पाया है क्यों की ज्यादातर लोगो बस यहाँ टिहरी बांध ही देखने आते है, बाकी जगहो की जानकारी लोगो को पर्याप्त मिल नहीं | लेकिन अगर आप यहाँ लोकल लोगो से पूछेंगी तो आप को यहाँ घूमने की कई जगह मिल जाएँगी |
एक ऐसी ही जगह है यहाँ पंवाली कंठा , जहाँ उच्च ऊंचाइयों पर स्थित है पांवली कांठा बुग्याल (Panwali Kantha Meadow)| यदि आप ट्रैकिंग के दीवाने है और आप में ट्रेकिंग का जूनून है तो यहाँ जगह आप के लिए ही बानी है |

Panwali Kantha, पांवली कांठा बुग्याल

हम इस आर्टिकल में पांवली कांठा बुग्याल  के बारे में आप को पूर्ण जानकारी देंगे, हमारा अपना अनुभव रहा है | आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़े और अपने दोस्तों के साथ शेयर करे| आप अपनी अगली यात्रा सूचि में पांवली कांठा का नाम भी लिख सकते है ,यकीन करीए यहाँ के प्राकृतिक नज़ारे आप के दिल और दिमाग से कभी नहीं उतरेंगे |
 

इस लेख में हम आप को अपनी पूरी भावनायेँ बताएँगे जो सच में आप वहां जाने पर अनुभव करेंगे | अगर कुछ जानकारी में बदलाव या कमी रही हो तो आप अपने सुझव हमें बता सकते है | अगर यहाँ जानकारी आप को अच्छी लगे तो आप इस जानकारी को सभी के साथ साझा कर सकते है | तो सुरु करते है अपना आज का Panwali Kantha - पांवली कांठा बुग्याल सफर |

Panwali Kantha, पांवली कांठा बुग्याल

संछिप्त जानकारी

यह टिहरी जिले के कुछ खास प्रसिद्द जगहों में से है जो टिहरी के घनसाली के घुत्तू नमक क्षेत्र  में पड़ता है | यहाँ गढ़वाल हिमालय क्षेत्र की अधिक ऊंचाई पर पाई  जाने वाली एक रमणीय जगहों में से एक है जो अपने बुग्यालों के लिए भी चर्चाओं में रहता है | जहाँ  विभिन्न प्रकार के आकर्षक फूल, जड़ी बूटियां अत्यधिक मात्रा में पाई जाती है | Uttarakhand में एक विशेष ऊंचाई पर पाया जाने वाला एक पुष्प बुरांश (रोड़ोडेन्ड्रोस) यहाँ बहुतायत में पाया जाता है | जिसका जूस  मनुष्य हृदय के लिए लाभदायक होता | यहाँ एक सदाबहार पेड़ है लेकिन इसमें फूल आने का समय अप्रैल से मई तक का ही होता है,ऐसी समय यही के लोकल लोगो द्वारा इसको निकल कर जूस बनाया जाता है और उपयोग किया जाता है | 

Panwali Kantha, पांवली कांठा बुग्याल

इस जगह का महत्व इस  लिए भी काफी है क्यों की यहाँ से प्रसिद्द धाम केदारनाथ तथा त्रिजुगीनारायण जैसे पवित्र मंदिरो के लिए भी एक कच्चे रस्ते के माध्यम से जाया जा सकता है | त्रिजुगी नारायण में स्थित शिवमंदिर का हिन्दू धरम में विशेष महत्व है क्यों की इसी मंदिर में भगवन विष्णु की उपस्थिति में शिव पार्वती जी का विवाह हुआ था | इसी  स्थान से हिमालय के मनोरम दृश्य देखे जा सकते है जिनमे  कीर्ति स्तम्भ, चोखंभा, नीलकंठ आदि शिखर शामिल है | यह जगह आकर्षक होने के साथ साथ कई जीव जन्तुओ का बसेरस भी है | यहाँ पंवाली कंठा बुग्याल स्थित है जिसके ट्रेक के लिए लोग यहाँ आते रहते है | पर्यटकों के बीच पंवाली काँठा से सूर्यास्त देखने का एक विशेष आकर्षण रहता है | जिसके बारे में हम आगे चर्चा करेंगे | 
यहाँ के लोग ऊंचाइयों पर बर्फ पिघलते ही गर्मियों  में  अपने मवेशियों के साथ बुग्यालों की तरफ निकल पड़ते है , जहाँ उनके मवेशियों के लिए पर्याप्त चरवाहे मिल जाते हो | और सर्दियाँ आने से पूर्व वापस अपने घरो को निकल जाते है | आइये अब विस्तार से इस जगह के हर पहलु के बार में  जानते है |

Panwali Kantha, पांवली कांठा बुग्याल

बुग्याल किसे कहते है ?

बुग्याल को इंग्लिश में Meadow कहा जाता है, जिसका वैसे तो अर्थ घास के मैदान होता है | यह भारत के अलावा कई अन्य देशो में भी पाए जाते है |
 हिम शिखरों की तलहटी पर समुद्र तल से 8000 से 10000 फ़ीट की ऊंचाई पर पेड़ो का नितांत अभाव पाया जाता है | इस ऊंचाई पर पेड़ो की जगह लेती है एक मखमली घास और पेड़ न होने के कारण ये मखमली घास पुरे पहाड़ो पर फेल कर बनती है हरे भरे मैदान और इन्ही को गढ़वाल हिमालय में बुग्याल नाम दिया गया है | 
यहाँ हिम रेखा और वृक्ष रेखा के मध्य का भाग होता है | यह दिकने में अत्यधिक सुन्दर लगते है और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनते है | बुग्याल स्थानीय लोगो के मवेशियों के लिए चरवाहों का काम करता है , यहाँ कैंपिंग और ट्रैकिंग के दीवानो के लिए किसे जन्नत से काम नहीं | सर्दियों में बर्फ पड़ते ही बुग्याल शीत कालीन खेलो का एक अड्डा बन जाते है | यह ऊंचाई वाले हर ट्रैकिंग वाले स्थान पर आप को देखने को मिल जायेंगे | बर्फ पिघलने के बाद मॉनसून आते ही यह अपनी सौंदर्य का प्रदर्शन करते है | बरसात के समय यहाँ रंग बिरंगे कई प्रकार के फूल खिलते है| बुग्याल में पोधो की ऊंचाई कुछ ही इंच की होती है , जिससे इस पर चलना ऐसा लगता है जैसे मानो मखमली गद्दे पर चल रहे हों | हर साल कई प्रकृति प्रेमी बुग्याल देखने गढ़वाल हिमालय आते है ,और गर्मियों में यहाँ के मौसम का भी आनंद लेते है |

Panwali Kantha, पांवली कांठा बुग्याल

पांवली कांठा बुग्याल

आब जब आप को पत है कि बुग्यल क्या होते है, तो आगे बात करते है इस खुबसुरत Panwali Kantha बुग्याल कि |
पांवली कांठा बुग्याल टिहरी जिले के घनसाली क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यह घुत्तू से लगभग 13 km. की दुरी पर स्थित है,  इसकी ऊंचाई 11500 फ़ीट है  | यह उत्तराखंड के सबसे बड़े बुग्यालों में से एक है, तथा अपनी नैसर्गिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है | यहाँ दिन भर बदलो और धुप का खेल चलता रहता है , कुछ पल खिली धुप होती है तो पल भर में ही कोहरा और बदल घिर आते है | बुग्याल से 100 मीटर पहले एक ऊँची चोटी है जहाँ से आप यहाँ का मनमोहक 360 view देख सकते है | सामने आप को दिखेंगे ऊँचे हिमशिखर और आस पास बस  बुग्याल | 

Panwali Kantha , पांवली कांठा बुग्याल


पांवली कंठा बुग्याल से 3 किमी पहले एक और बुग्याल है जिसको मटिया बुग्याल नाम से जाना जाता है यह भी काफी खूबसूरत है | इसके आस पास आप को कुछ ताल भी देखने को मिल जाते, जो उड़ते हुए  बदलो का एक खूबसूरत  प्रतिबिम्ब बनाते है | सुबह की खिल खिलाती धुप जब इन  बुग्यालों पर पड़ती है तो मानो यह बुग्याल चमक से जाते है | 
यहाँ साल भर में जाया जा सकता है लेकिन यहाँ की असली खूबसूरती देखने यह बरसात के महीनो में जाय तो अच्छा रहेगा | बरसात के बाद यहाँ अनेक प्रकार के रंग बिरंगे फूल, और मखमली बुग्याल पुरे जगह फैले रहते है | यह नजारा इतना खूबसूरत होता है की इनसे नजर हटाने का मन ही नहीं करता | शिवालिक श्रेणी के पास होने के कारन यहाँ शाम होते-होते ठण्ड बढ़ने लगती है , और ढलते सूरज के रंग से मानो गिलेशियर स्नान कर रहे हो |
कुछ लोग यहां सर्दियों में भी जाते है जब ये बुग्याल बर्फ से लदे रहते है ऐसे उचित ढालदार बुग्याल शायद ही आप को कही और देखने को मिले | यह नजारा इतना आकर्षित करने वाला है की शब्दों में लिख पाना मुश्किल है |

Panwali Kantha, पांवली कांठा बुग्याल
 

यह बुग्याल यहाँ के तथा अन्य जगहों से आने वाले गुज्जर/चरवाहों के मवेशियों के लिए अपर भोजन की भी वयवस्था करता है | इन लोगो को स्थानीय भाषाओ में बकरवाल, गद्दी आदि नामो से पुकारा जाता है | ये लोग बुग्यालों में बर्फ पिघलते ही यहाँ पहुंच जाते है और सर्दियाँ आने तक यही रहते है , ये  काफी लम्बी यात्रायें करते है जिससे मवेशियों  को चरगाह मिलते रहे | यहाँ प्रक्रिया हर साल यह लोग अपनाते है | 
अगर आप यहॉ अक्टूबर से पहले और मार्च के बाद जाने का प्लान कर रहे है तो यहाँ आप को रहने और खाने की पूरी व्यवस्था मिल जाएगी , पिने के लिए उच्च हिमालय के श्रोतो का पानी भी कही पर भी मिल जायेगा | यहाँ स्थानीय लोग जो अपने मवेशियों के साथ आते है वह यहाँ कच्चे घर बना के रहते है | इन्ही घरो को वे लोग यात्रियों को आश्रय के लिए देते है | सुविधाओं का अभाव है इस लिए यहाँ का खाना साधारण ही मिलता है , लेकिन स्वाद की कोई  | दूसरा विकल्प यहाँ है की आप अपने कैंप ले कर कैंपिंग करे और खुद का खाना बना सकते है यहाँ भी एक अच्छा विकल्प है लेकिन इसके लिए आप को अपने साथ ज्यादा समान ले जाना होगा | वैसे इतनी ऊंचाई पर कैंपिंग करना एक अच्छा विचार है |

Panwali Kantha, पांवली कांठा बुग्याल
 
यहाँ घूमने और देखने लायक बहुत से बुग्यालों के टीले , ग्लेशियर , खूबसूरत ताल और चरते हुए मवेशी आप को कुछ कुछ दुरी पर मिलते रहेंगे | अधिक ऊँचा और दूर होने के कारण यहाँ कोई भी नेटवर्क काम नहीं करता , यहाँ दुनिया से अलग एक शांत वातावरण  प्रदान करता है | यहाँ बिजली की कोई  है सोलर पावर का ही उपयोग यहाँ के लोग रौशनी के लिए करते है |  आप को निराश होने की जरुरत नहीं है क्यों की यहाँ के प्राकृतिक दृश्य ये  पूरा कर देते है | 
यहाँ हमें बस एक चीज दुःख हुआ की इन खूबसूरत  बुग्यालों को हम इंसानो के कारन नुक्सान हो रहा है , पर्यावरण परिवर्तन के चलते यहाँ बुग्यालों की मिटटी सरकती रहती है जिससे कई जगह पर बुग्याल की जगह मिटटी ही मिटटी दिखाई देती है | अभी तो यह प्रक्रिया कुछ - कुछ स्थानों पर हो रही है लेकिन कुछ किया न गया तो शायद यहाँ के काफी बड़े भू- भाग पर बस मिटटी ही रह जाय |

Panwali Kantha, पांवली कांठा बुग्याल


पांवली कांठा ट्रेक

Panwali Kantha trek नाम इसको इस लिए दिया गया क्यों की यह ट्रेक पंवाली कंठा बुग्याल से ही जाता है , जो एक  बड़े भू-भाग पर फैला हुआ है | यह खूबसूरत ट्रेक गंगोत्री - केदारनाथ के प्राचीन समय से उपयोग होने वाले धार्मिक मार्ग पर पड़ता है, क्यों की इस ट्रेक को घुत्तू से सोनप्रयाग, त्रिजुगीनारायण तथा केदारनाथ तक जाने हेतु प्रयोग किया जाता था , साथ ही घुत्तू से उत्तरकाशी में लाटा नमक स्थान तक भी इस मार्ग से जाया जाता था | अगर आप इस ट्रेक को करते है तो आप को यहाँ बसे दूरस्थ गाँवों और  वास्तविक गढ़वाल के जीवन को देखने का एक अवसर भी मिलता हैं | इस  ट्रेक को करते हुए आप को  जगह-जगह चरवाहे/मवेशी जो शिवालिक रेंज और हिमालय के मध्य भाग में निवास करते है तथा इसके अलावा  खूबसूरत ताल, छोटे छोटे मंदिर, और भौगोलिक विविधताएं, चार धामों की पर्वत श्रंखलाओ के दुर्लभ दृश्य भी दिखाई पड़ते है | इस ट्रेक में अल्पाइन घर के मैदान , बुरांश (रोडोडेंड्रोन), बांझ, अल्पाइन वृक्ष के जंगलो से होकर गुजरना होता है जिसका अनुभव लेना हर कोई चाहता है |

Panwali Kantha, पांवली कांठा बुग्याल
 
यहाँ हम आप को घुत्तू से त्रिजुगीनारायण तक के ट्रेक की जानकारी देंगे | यह प्राकृतिक परिदृश्यों एवं अपेक्षाकृत कम ऊंचाई होने के कारण यह एक मध्यम कठिनाई वाला ट्रेक साबित होता है |यह ट्रेक उनके लिए काफी अच्छा अनुभव प्रदान करता है जो पर्वतारोहण के लिए एक अनुभव चाहते है | कही कही खड़ी चढ़ाई तो कही पर ढाल आप को इस पुरे ट्रेक में मिल जाएगी | तो  जानते है इस पुरे ट्रेक के बारे में,
यहाँ ट्रेक सुरु किया जाता है घुत्तू से जहाँ इसका बेस मन जाता है, इसके पास आप कैलबाग़ी नाम की जगह में पहुँच कर रुक सकते है और अगले दिन सुबह अपनी यात्रा सुरु कर सकते है | यहाँ खाने और रहने की उचित व्यवस्था आप को मिल जाती है | इस ट्रेक का पहल पड़ाव पंवाली कंठा बुग्याल है , जो इस स्थान से 12 से 14 k.m. की दुरु पर है | यह दुरी चढ़ाई चढ़ कर ही पूरी करनी होती है | घुत्तू से आगे आप को बांज और बुरांस के जंगल से हो कर गुजरना पड़ता है जो कुछ किलोमीटर बाद काम होने लगता है,  उनके स्थान पर घास और झाड़ियां  दिखना सुरु हो जाती है | ऊंचाई बढ़ने पर पेड़ और काम हो जाते है और झाडिया दिखाई पड़ती है |
 करीब 8 से 9 किमी चलने के बाद एक स्थान पड़ता है जहाँ रुक कर  आप चाय पी सकते है | इसको टी-पॉइंट नाम दिया गया है |  यहाँ कोई ढाबा नहीं बल्कि किसे स्थानीय लोगो का घर  है जो पत्थर और घास फुस से बनाया गया है | यहाँ पर यात्री रुक कर चाय का आनंद लेते है, साथ ही कुछ स्नैक्स भी आप को यहाँ मिल जायेगा | | यहाँ आस पास कई प्रकार के फूल खिले आप को दिख जायेंगे और झाड़ियों के जगह आप को अब बस छोटे पौधे ही दिखेंगे | यहाँ से अगर आप ऊपर की तरफ पहाड़ो पर नजर डालेंगे तो आप को वो मख़मली बुग्याल दिखने लगेंगे| वहां चरते हुए भेड़ो और अन्य जानवरो को भी आप देख सकते है | 

Panwali Kantha , पांवली कांठा बुग्याल


टी-पॉइंट से आगे चलते हुए आप के सामने के दृश्य और भी सुन्दर होते जाते है चारो तरफ देखने पर बस मख़मली घास और छोटे छोटे फूल के पौधे ही दिखने लगते है | लगभग 3 किमी चलने के बाद आप को यहाँ के एक और बुग्याल के दर्शन होते है जिको यहाँ मटिया बुग्याल के नाम से जाना जाता है | आप चाहे तो यहाँ जा सकते है , यहाँ आप को एक छुपा हुआ ताल भी दिख जायेगा जो इसके शीर्ष पर है | कई बर्फीले ग्लेशियर आप यहाँ से देख सकते हो | 
मटिया बुग्याल से पंवाली कंठा बुग्याल 2.5  किमी की दुरी पर है लेकिन उससे 300 मीटर की दुरी पर ही पड़ता है द्युली पास | जहाँ आप को छोटे छोटे मंदिर दिखाई देते है और यहाँ पर स्थानीय लोगो द्वारा घंटियाँ भी लगाई गई है | आप जरा सोचिये इतनी ऊंचाई पर शांत वातावरण में घंटियों की आवाज ऐसे भावना मन में जगा रही थी की सच में हम देव भूमि में है और कही पर भी हमको देव दर्शन हो जायेंगे | यहाँ मंदिर उन लोगो के लिए बनाय गए थे जो यहाँ बुग्यालों में अपने मवेशियों के साथ आये तो थे लेकिन कभी वापस नहीं जा सके | यहाँ उनको पित्रो के रूप में पूजा जाता है |  यहाँ पहुंचने के बाद पनवली बुग्याल का 360° view दीखता है लेकिन यहाँ पहुंचने के लिए पार करनी पड़ती है एक चढ़ाई |

Panwali Kantha, पांवली कांठा बुग्याल

कहते है न की " The best view comes after , The hardest climb " इस लाइन से जुडी सीख यही आ कर हमको समाज आई , मानो प्रकृति भी आप को ये ही समझाती है |  द्युली पास से आप को सामने देखेगा केदारनाथ तथा गंगोत्री के सफ़ेद गिलेशियर  और आस पास दिखेंगे बुग्यालों के ऊँचे ऊँचे टीले | यहाँ जरूर कुछ पल बिताए ,और दृश्यों का आनंद ले| 
पनवली बुग्याल में यहाँ आय चरवाहे आप को यही एक साथ रहते हुए दिख जायेंगे यहाँ चाहे तो आप अपने लिए एक आश्रय ले सकते है या  कैंपिंग कर सकते है | यहाँ लोग खाने की भी सुविधा देते है और सबसे फेमस मैग्गी आप को यहाँ भी मिल जाएगी | ऊंचाई पर सुविधाएं थोड़ा महँगी है लेकिन ज्यादा फर्क नहीं है | यहाँ तक का सफर पूरा करने में  7  से 8  घंटे लगते है लेकिन  फिटनेस पर भी निर्भर करेगा | आप यहाँ अपने प्लान के अनुसार १ दिन तक भी  रुक सकते है, या अगले दिन सुबह अपने अगले पड़ाव त्रिजुगीनारायण के लिए निकल सकते है |  
यहाँ से अगला पड़ाव  25 किमी दूर है, जो त्रिजुगी नारायण है | यह सफर थोड़ी चढ़ाई के बाद फिर पूरा ढलान वाला होगा | सुबह थोड़ा जल्दी निकलने पर आप समय पर है वहाँ पहुंच सकते है | यह रास्ता अल्पाइन  जंगल से होकर गुजरता है | 
पंवाली कंठा से ही एक ट्रेल निकलती है जिस पर चल कर आगे  सफर तय करना होता है | इस रस्ते पर चलते हुए देखने लायक कई स्थान मिलते रहेंगे , कही कही ज्यादा कोहरा आने पर तो आप यह भी महसूस करेंगे की आप मखमली घास पर चल रहे है और कोई फिल्म की शूटिंग चल रही है | कई ताल भी आप को रस्ते भर मिलते रहेंगे | विभिन्न प्रकार के फूल आप को रस्ते भर मिलते रहेंगे | कुछ दूर चलने के बाद आप घुत्तू रेंज को पार कर के उखीमठ क्षेत्र की रेंज में पहुँच जायेंगे | यहां से कनखलिया टॉप भी रस्ते पे पड़ता है जिसकी ऊंचाई 3200 मीटर है | कनखलिया में आप थोड़ा रुक सकते है।, यह एक देखने लायक स्थान है | यहाँ से एक तरफ आप को पंवाली कांठा की पहाड़ियां दूसरी तरफ रुद्रप्रयाग के रंगड़ मयाली जैसे क्षेत्र दिखाई देंगे | और समने की तरफ हाली से चढ़ाई वाला रास्ता है जो हमारी मंजिल तक जाता है |

Panwali Kantha, पांवली कांठा बुग्याल

इससे आगे चल कर लगभग 3 किमी पर मग्गू चट्टी नमक स्थान है जहाँ बुग्यालों की जगह आप को फिर से पेड़ लेते हुए दिख जायेंगे | इससे आगे  चलते रहने पर आप पहुंच जाते है त्रिजुगीनारायण के मुख्य गावं से 1.5 किमी पहले रेणी गाड़ नमक स्थान पर | यहाँ से आप वासुकीताल के लिए भी जा सकते है | यहाँ एक तप्पड़ है जहां आप रुकना चाहे या कैंपिंग करना चाहे तो कर सकते है | या फिर गावं में जा कर किसी  होम स्टे में भी अपनी थकन मिटा सकते है | और अगले दिन त्रिजुगीनारायण मंदिर में जा कर दर्शन करने के बाद , अपनी यात्रा के अंतिम बिंदु सोनप्रयाग के लिए निकल पड़िये | 
यहाँ पूरा ट्रेक उन लोगो को बहुत अच्छा अनुभव प्रदान करता है जो ट्रैकिंग करते है या करना पसंद करते है | देखा जाय तो यह ट्रेक उत्तराखंड के दो जिलों के बीच स्थित है एक टिहरी तथा दूसरा रुद्रप्रयाग | ज्यादातर लोग पांवली कांठा बुग्याल तक का  ही ट्रेक करते है | स्थानीय लोगो से पता चलता है की त्रिजुगीनारायण मेले के दिन वे सब भी इस पुरे ट्रेक को एक ही दिन में पूरा कर के मेले में शामिल होने जाते है |

Panwali Kantha, पांवली कांठा बुग्याल

Panwali Kantha - पांवली कांठा के रोचक तथ्य

  • पंवाली कंठा बुग्याल उत्तराखंड के बड़े बुग्यालों में शामिल है | लेकिन ज्यादातर लोग इसके बारे में अभी पुरे तरीके से पता नहीं चला है | 
  • यहाँ बुग्याल गंगोत्री एवं केदारनाथ जैसे पवित्र धामों को जोड़ने वाले मार्ग के मध्य में पड़ता है | 
  • यहाँ मन जाता है की यह जगह अंग्रेजो को पसंद आई थी लेकिन अधिक चढ़ाई होने के कारण वे यहाँ नहीं जा पाए | इसी  लिए यहाँ एक कहावत प्रसिद्द है अंग्रेज दो चीजों से डरते थे, एक पवाँली की चढाई व दूजी जर्मनी की लडाई से।
  •  यहां से प्रमुख धामों के आस पास के शिखरों को आसानी से  देखा जा सकता है।
  • यहां कई प्रकार की जड़ी बूटियां पाई जाती है, जिनके बारे में स्थानीय लोगो को जानकारी है। यह जानकारी स्थानीय लोगो पीढ़ी दर पीढ़ी साझा करते है। 
  • यहां पर जितने भी मंदिर दिखाई देंगे , वह स्थानीय लोगो के द्वारा उन लोगो को समर्पित है जो इन बुग्यालो से वापस नही जा सके।
  • यह ट्रेक उत्तराखंड के दो जिलों के बीच स्थित है एक टिहरी तथा दूसरा रुद्रप्रयाग |

Panwali Kantha, पांवली कांठा बुग्याल

पांवली कांठा बुग्याल जाने का सही समय

पांवली कांठा बुग्याल जाने का सबसे अच्छा समय वर्षा ऋतु या साफ़ आसमान के दौरान शरद ऋतु में है। इस समय हिमालय में कई प्रकार के रंग बिरंगे फूल खिलते है और बुग्याल हरे भरे हो जाते है। इस समय यहां प्राकृति तालों में पानी भरा रहता है , और यह प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनता है।
कुछ जुनून से भरे लोग यहां की यात्रा बर्फ गिरने के बाद करते है , क्यों की पेड़ न होने की वजह से बुग्यालो में गिरी हुई बर्फ ऐसे दिखती है मानो जैसे पर्वतीय मैदानों में किसे ने प्रकृति से बादलों का रंग चुरा के यहां फैला दिया हो । 
आप चाहे तो गर्मियों में भी यहां जा सकते है लेकिन आप को शायद वो खूबसूरती देखने को न मिले जिसके बारे में हमने आप से जिक्र किया है।

Panwali Kantha, पांवली कांठा बुग्याल

पांवली कांठा बुग्याल कैसे पहुंचे ?

यहां पहुंचने के लिए आप को दो मुख्य बिंदुओं तक पहुंच सकते है जहां आप अपनी सुविधा के अनुसार जा  सकते है।
1- पहल point आप सोनप्रयाग से यात्रा सुरु कर सकते है जो उत्तराखंड के देवप्रयाग में स्थित है। यहां से ट्रैकिंग कर के आप पावली कांठा बुग्याल तक की 22 से 24 किमी की यात्रा कर सकते है। 
2- दूसरा poin घुत्तू है जो टिहरी गढ़वाल जिले के घनशाली में स्थित है । यहां से पांवली कांठा बुग्याल  की दूरी 12 से 14 किमी के बीच है। 
आप देहरादून पहुंच कर निजी वाहन या टैक्सी/पब्लिक ट्रांसपोर्ट ले कर ऊपर बताए गए किसी भी स्थान तक पहुंच सकते है। आप अपने स्थान से देहरादून या इन स्थानों तक की दूरी गूगल मैप की सहायता से भी प्राप्त कर सकते है तथा उसके अनुसार अपनी trip के लिए योजना बना सकते है।

  •  Airport

यहां से सबसे नजदीकी airport जोलीग्रांट, Dehradun है। वही से घुत्तू की दूरी लगभाग 160 किमी है और सोनप्रयाग की दूरी 222 किमी है। 

  • Bas

घुत्तू, घनसाली  तथा सोनप्रयाग के लिए आप को उत्तराखंड परिवहन की बसें ISBT देहरादून से मिल जायेंगी। जिनकी सहायता से आप उपरोक्त स्थानों तक पहुंच सकते है। उसके आगे के कुछ किलोमीटर के सफर के लिए लोकल गाड़ियों का सहारा आप को लेना होगा।

  • Car 

अगर आप अपने वाहन से यहां आ रहे है तो देहरादून पहुंच कर ऊपर बताए गए दोनो स्थानों से आगे चल कर ट्रैकिंग के शुरुआती स्थान तक पहुंच जायेंगे। वहां पार्किंग के लिए आप को उचित सुविधाएं मिल जायेंगी।

  • Rail

यदि आप रेल से सफर कर रहे है तो ऋषिकेश या देहरादून में से कही भी पहुंच सकते है तथा ऊपर बताए गए निर्देशों को फॉलो कर सकते है।

Panwali Kantha, पांवली कांठा बुग्याल

Panwali Kantha trek - महत्वपूर्ण टिप्स

  • इस ट्रेक में ऊर्जा एक बहुत बड़ा फैक्टर है, शरीर में ऊर्जा के लिए साथ में कुछ खाने पीने का सामान जरूर ले कर चले, और बीच बीच में रुक कर खा ले।
  • मध्यम कठिनाई का ट्रैक होने के कारण आप अच्छे ट्रैकिंग जूते ले , जिससे पैरो को कोई नुकसान न हो। यहां बरसात में जोंक ( लीच) भी रहती है इनसे भी आप की सुरक्षा हो सकेगी।
  • पानी साथ लाने की जरूरत नहीं होगी क्यों की यहां हर जगह आप को हिमालय क्षेत्र का  शुद्ध पानी पीने को मिल जाता है , बस एक खाली बोतल अपने साथ रखे।
  • अगर आप कैंपिंग कर रहे है तो जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए अपने पास साधन जरूर रखे।
  • शार्दियो में ट्रैकिंग के दौरान उचित गर्म कपड़े अपने साथ जरूर ले जाए। और बरसात में गीला होने  से बचने का पूरा इंतजाम कर के रखे।
  • अगर आप को स्वास संबंधी या हृदय संबंधी कोई भी परेशानी है तो आप बिना डाक्टरी सलाह के यहां न जाए।क्यों की यह ट्रैक 11500 miter की ऊंचाई पर है।
  • किसे भी प्रकार के शॉर्टकट रास्ते का सहारा न ले । वरना आप कही भटक सकते है। इससे बचने के लिए आप किसी लोकल गाईड का सहारा ले सकते है , लेकिन अगर आप solo है तो मुख्य रास्ते से ही जाएं।
  • अपने साथ first Aid कीट जरूर ले जाए जिससे जरूरत के समय वह आप के काम आ सके।
  • यदि आप फोटोग्राफी के शौकीन है तो जरूरत के अनुसार बैटरी ले जाना न भूले। यहां बिजली का अभाव है।
  • रास्ते के लिए energy drinks भी आप ले जा सकते है, जिससे बीच बीच में आप को भरपूर ऊर्जा मिलती रहे।

Panwali Kantha, पांवली कांठा बुग्याल

Conclusion - निष्कर्ष

  • अवधि: देहरादून से देहरादून तक 5 दिन)
  • सर्वश्रेष्ठ मौसम: - सभी वर्ष, मुख्यत मॉनसून के बाद का समय।
  •  स्तर: मध्यम कठिनाई 
  • उच्चतम बिंदु: 3500 मीटर
  • मौसम: इस मौसम में रातें ठंडी होती हैं और दिन का तापमान सुहावना रहता है।
  • सर्दियों का तापमान: (0 डिग्री सेल्सियस से -8 डिग्री सेल्सियस)
  • गर्मी का तापमान: (10 डिग्री सेल्सियस से 15 डिग्री सेल्सियस)
  • शुरुआती बिंदु: देहरादून 

आज इस ट्रैक से संबंधित अनेको जानकारी आप को अलग अलग जगह मिल जाएँगी , जो की जानकारी के लिहाज से उचित भी है | लेकिन इनमे  से ज्यादातर जानकारी गलत है या अधूरी है | आप को ट्रैकिंग के लिए प्रेरित करने और उसके बदले आप से अधिक पैसे निकलवाने के इरादे से आप को पांवली कांठा ट्रेक को बहुत आसान दिखाया जा रहा है लेकिन यह ट्रेक सुच में इतना आसान नहीं है | 
हम यहाँ किसी की बुराई नहीं करना चाहेंगे लेकिन अगर आप को सुरक्षित एवं किफायती  ट्रेक करना है तो आप गढ़वाल मंडल विकाश निगम या किसी  लोकल गाइड के द्वारा काम मूल्य पर कर सकते है जिससे आप को यहाँ का अच्छा अनुभव भी प्राप्त  होगा | 
अगर आप पर्वतारोहण करने की तैयारी कर रहे है या ट्रेकिंग के शौकीन है तो इस ट्रेक को कर सकते है | यहाँ के लिए अपनी तैयारी पूरी रखे जरुरत का हर सामान रखे जो समय पर काम आये | 
अगर आप लम्बा ट्रेक नहीं कर सकते तो पांवली कांठा बुग्याल तक ट्रेक कर सकते है , हमारा यकीन है की यह आप की जिंदगी के खूबसूरत समय में से एक होगा |

 


Read More - Trekking Places in Uttarakhand clicl here.

FAQ

Q1- पांवली कांठा बुग्याल कहा है ?
Ans- पांवली कांठा बुग्याल उत्तराखंड के अंतर्गत घनशाली में घुत्तू क्षेत्र में है | जो की उत्तराखंड के बड़े बुग्यालों में से एक तथा बेहद सुन्दर बुग्याल है | 

Q2- पांवली कांठा बुग्याल और ट्रेक प्रसिद्द क्यों है?
Ans- पांवली कांठा बुग्याल के शीर्ष से प्राकृतिक सुंदरता के बीच उत्तराखंड के धाम श्री केदारनाथ तथा गंगोत्री  धाम के नजदीक के शिखरों के अलावा बर्फ से ढकी थलय सागर, मेरु, कीर्ति स्तम्भ, चोखंभा, नीलकंठ आदि पहाड़ियों के मनोरम दृश्य  सकते है | यहाँ की नैसर्गिक सुंदरता चारो तरफ फैली है जो मॉनसून के समय अपने चरम पर होती है |  इनके अलावा यह बुग्याल गंगोत्री एवं केदारनाथ जैसे धामों के पुराने तीर्थ मार्ग में स्थित है , यहाँ से त्रिजुगीनारायण के लिए भी मार्ग जाता है | 

Q3- पांवली कांठा कब जाना चाहिए ? 
Ans- पांवली कांठा वैसे तो साल भर में कभी भी जाया जा सकता है | लेकिन कुछ विशेष महीनो में जैसे मॉनसून के बाद और सर्दियों के साफ़ मौसम में आप यहाँ जरूर जाए | यहाँ वह समय है जब आप इस बुग्याल की असली खूबसूरती के दीदार कर पाएंगे | यहाँ घुत्तू से 14 किमी तथा  सोनप्रयाग से २६ किमी की दुरी पर स्थित है | 

Q4- पांवली कंथा में कहाँ रुक सकते है ?
Ans- रुकने के लिए पांवली कांठा में आप कैंपिंग कर सकते है , जिसके लिए आप को अपने निजी टेंट्स ले जाने होंगे | इसके अलावा यहाँ स्थानीय लोगो ने अपने प्रवास के लिए कच्चे घर भी बनाय है आप उनको भी किराय पर ले सकते है | यहाँ खाने की सुविधा ये लोग ही प्रदान करते है | रहने और खाने की यहाँ पूरी सुविधा है | 

Q5- पांवली कांठा ट्रेक की दुरी और ऊंचाई कितनी है ?
Ans- पंवाली कंथा ट्रेक की दुरी लगभग 36 किमी  | जिसमे पांवली कांठा बुग्याल मुख्य पड़ाव है, जिसकी सोनप्रयाग से दुरी 22 से 24 किमी के बीच तथा घुत्तू से दुरी 12 से 14 किमी के बीच है  | इसकी ऊंचाई लगभग 11500 फ़ीट की है| 



" देवभूमि उत्तराखंड में अपनी खूबसूरती बिखेरता है पांवली कांठा बुग्याल "