Temples in Uttarakhand - उत्तराखंड के प्राचीन मंदिर
उत्तराखंड - विष्णु भगवान के सबसे प्राचीन मंदिर
दोस्तों हर साल लाखो लोग उत्तराखंड 4 धामों की यात्रा पर आते है , जिसको छोटा धाम तीर्थ यात्रा भी कहा जाता है | तहा उन लोगो के लिए है जो भारत की चार धाम यात्रा में असहज होते है | यहाँ बदरीनाथ , केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री धाम उयस्थित है | जिनके बारे में हर कोई जनता है लेकिन उत्तराखंड में ही कुछ ऐसे प्रसिद्ध मंदिर भी है जहाँ के दर्शन करने मात्र से कल्याण होता है , लेकिन इसके बारे में जानकारी बहुत काम ही लोगो को पता होती है , क्यों की यहाँ जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध ही नहीं होती | Temples in Uttarakhand - उत्तराखंड के प्राचीन मंदिर के बार में हम आप को जानकारी देने जा रहे है वे उत्तराखंड में स्थित मंदिर भगवन विष्णु को समर्पित है | पुरे भारत में मंदिर कला एक अद्वितिय कला है , ऐसी कला शायद ही कही और देखने को मिलती है | तो जब भी आप ऐसे जगह घूमे तो मंदिर कला के इन शैलियों को जरूर निहारे |
ऋषिमुनियो की तापो भूमि , देवभूमि उत्तराखंड जहां भगवान विष्णु के सबसे प्राचीन मंदिर उपस्थित है। यहां प्रत्येक मंदिर भगवान विष्णु के अलग अलग रूपों को दर्शाता है, ये मंदिर देवभुमि उत्तराखंड में अलग अलग क्षेत्रों में स्थित है जो अपनी प्रमुख मान्यताओं और आस्था के लिए जाने जाते है।
ऋषिमुनियो की तापो भूमि , देवभूमि उत्तराखंड जहां भगवान विष्णु के सबसे प्राचीन मंदिर उपस्थित है। यहां प्रत्येक मंदिर भगवान विष्णु के अलग अलग रूपों को दर्शाता है, ये मंदिर देवभुमि उत्तराखंड में अलग अलग क्षेत्रों में स्थित है जो अपनी प्रमुख मान्यताओं और आस्था के लिए जाने जाते है।
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जहां पवन बहे सांकल लिए
जहां पर्वत गर्व सिखाते है
जहां ऊंचे नीचे सब रास्ते
भक्ति के सुर में गाते है
में उसको शीश नवाता हूं
और धन्य धन्य हो जाता हूं।
आज जिन मंदिरो की जानकारी हम आप को दे रहे है यहाँ मदिर उत्तराखंड के प्रसिद्द मंदिर होने के साथ साथ प्राचीन भी है , आप यहाँ भी घूमने का plan बना सकते है , लेकिन यह सब धार्मिक स्थल है तो आप जब भी यहाँ जायँ जायें तो इन स्थानों के साथ साथ पर्यावरण के लिए स्वछता को भी बनाय रखे |
हमरे द्वारा दी जा रही जानकारी द्वारा आप जब भी उत्तराखंड आते है तो यहाँ , इन मदिरो में घूम सकते है और भक्ति भाव का आनंद उठा सकते है | यहाँ सभी मंदिर भगवन विष्णु को समर्पित होने के साथ साथ उत्तराखंड के प्राचीन मंदिरो में भी गिने जाते है | जिनके बारे में स्थानीय लोगो को ही ज्यादा पता होता है , लेकिन अब आप भी यहाँ जानकारी किसे के साथ साझा कर सकते है और देवभूमि में दरसन के लिए आ सकते है | हम चाहते है की आप तक सही जानकारी पहुंचे , जिससे आप अपना घूमने का अनुभव और भी बेहतर कर सके |
अब हम सुरु करते है आज का हमारा topic, Temples in Uttarakhand - उत्तराखंड के प्राचीन मंदिर
लक्ष्मी नारायण मंदिर बैरंगणा
यह मंदिर रूद्रप्रयाग में स्थित है, जिसे नव जय लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी को समर्पित है। यहां कभी भी जाया जा सकता है लेकिन ज्यादातर लोग यहां बदरीनाथ कपाट खुलने के बाद ही जाते है।
बदरीनाथ मंदिर चमोली
छोटा धाम यात्रा में से एक प्रमुख धाम है।
यह जिला चमोली में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है, और उत्तर में स्थित धामों में से प्रसिद्ध धाम भी है। हम सब इस धाम को बदरीनाथ धाम कहते है लेकिन इसका एक नाम बद्री नारायण मंदिर भी है। क्या ये जानकारी आप को पहले पता थी?
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रघुनाथ मंदिर देवप्रयाग
यह मंदिर उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित है। जो भागीरथी और अलकनंदा नदी के संगम के किनारे बना है। जब श्री राम ने रावण का वध किया था उसके बाद वे इसी स्थान पर आ कर तपस्या की कर के उन्होंने ब्रह्महत्या से मुक्ति पाई थी।
नारायणकोटी मंदिर गुप्तकाशी
गुप्तकाशी से 4 KM दूरी पर स्थित इस मंदिर का निमार्ण कार्य आदि गुरु शंकराचार्य जी द्वारा किया गया था। इस स्थान पर आप को भैरव, भगवान विष्णु, सरस्वती देवी आदि के मंदिर भी देखने को मिल जाते है।
ध्यानबद्री उर्गम
यह सप्त मन्दिरों का छठा मंदिर है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। जो की चमोली जिले के उर्गम घाटी में है, जो कल्पेश्वर के पास स्थित है। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 2135 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
स्त्यानारायण मंदिर, रायवाला देहरादून
यह मंदिर देहरादून हरिद्वार मार्ग पर स्थित एक प्राचीन मंदिर है , जो रायवाला में स्थित है।
लक्ष्मी नारायण मंदिर सुमाड़ी
यह मंदिर काफी प्रसिद्ध मंदिर है , यहां लोग लक्ष्मी नारायण की पूजा अर्चना करने के लिए काफी दूर दूर से आते है। यह पौड़ी जिले में सुमाडी बुघाणी मार्ग पर स्थित है।
योगबद्री पणुकेश्वर
यह जोशीमठ से 21KM तथा गोपेश्वर जिला मुख्यालय 80 KM से दूर पांडुकेश्वर में स्थित मंदिर है। योगध्यान मुद्रा में भगवान बदरीनाथ की एक मूर्ति इसके गर्भग्रह में स्थापित की गई थी। यह एक दर्शनीय स्थल है जो प्राकृति प्रेमियों के लिए अच्छी जगह है।
वृद्धबद्री आणीमठ
यह गोपेश्वर से 60KM दूरी पर आणीमठ में स्थित है। बदरीनाथ बदरीनाथ धाम की स्थापना से पूर्व भगवान विश्वकर्मा द्वारा इसी स्थान पर भगवान बद्रीनाथ की पूजा अर्चना शुरू की गई थी। इस मंदिर के निर्माण का समय अभी तक कोई नही पता कर पाया है।
वैष्णव मंदिर पौड़ी
यह मंदिर सीतांशु पट्टी पौड़ी तहसील में स्थित है। यह दो भागों में विभाजित 12 मंदिरों का समूह है। इस मंदिर में काफी प्राचीन शिलाएं देखने को भी मिल जाती हैं ।
रघुनाथ मंदिर गैर बनाल उत्तरकाशी
यह उत्तरकाशी में स्थित नौगांव के अंतर्गत गंगटाड़ी में ठकराल पट्टी और बनाल पट्टी में स्थित है। यह विष्णु भगवान को समर्पित एक ऐसा मंदिर है जो अपनी भव्य सुंदरता और अद्वितीय वास्तुकला के लिए बहुत प्रसिध्द है। अगर किसे को उत्तराखंड की वस्तु कला देखनी हो तो एक बार इस मंदिर जा सकते है । बिना किसी आधुनिक उपकरणों द्वारा भी ऐसी कला उस समय बनाई जाती थी।
श्री नारायणी शिला मायापुर हरिद्वार
प्राचीन समय में हरिद्वार को मायापुरी के नाम से भी जाना जाता था। वहीं के मायापुर के देवपुरा में स्थित यह मंदिर है, जहां लोग अपने पितरों को पूजा और शांति के लिए आते है। मान्यता है कि यहां पूजा करने से पितरों को शांति प्राप्त होती है।
भविष्य बद्री मंदिर चमोली
इस मंदिर में भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह की मूर्ति स्थापित है।ऐसा माना जाता है की कलयुग में विष्णु प्रयाग के निकट पाटीकला में जय और विजय पर्वत ढह जायेंगे और उसके बाद भगवान बद्री नारायण यहीं विराजमान होंगे। इसी लिए इस मंदिर का नाम भविष्य बद्री रखा गया था।
नरसिंह मंदिर जोशीमठ
बद्रीनाथ मंदिर के कपट बदन होने के पश्चात श्री बदरीनाथ जी की मूर्ति को यहाँ लाया जाता है । शीतकालीन प्रवाश में बद्री विशाल यही विराजमान होते है । इसी कारण यह मंदिर जोशीमठ की एक महतवपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत मानी जाती है ।
बद्रीनाथ मंदिर सिनाई तल्ली चमोली
भगवन विष्णु जी का यह प्राचीन मंदिर , देवराड़ा गावं में स्थित है जो जिला चमोली के सिनाई तल्ली में स्थित है |
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विष्णु भगवान की आरती
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ||
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं मैं किसकी
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ||
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अंतर्यामी
स्वामी तुम अंतर्यामी
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ||
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
तुम करुणा के सागर,
तुम पालन कर्ता
स्वामी तुम पालन कर्ता
मैं मूरख खल कामी ,
कृपा करो भर्ता ||
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ||
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
दीनबंधु दुखहर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी ठाकुर तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ,
द्वार पड़ा मैं तेरे ||
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
विषय विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वामी पाप हरो देवा,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
संतन की सेवा ||
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
श्री जगदीश जी की आरती,
जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी,
सुख संपत्ति पावे ||
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
॥ इति श्री विष्णु आरत
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट क्षण में दूर करे ॐ जय जगदीश हरे ||
FAQ
1- उत्तराखंड में ज्योतिर्लिंग कितने हैं?Ans- उत्तराखंड में एक ज्योत्रिलिंग है , केदारनाथ | जो १२ ज्योत्रिलिंगो में से है | यहाँ शिव को समर्पित है , जिसमे भगवन शिव के ५ मुख दिखाए गए है | साथ ही यहचार चार धामों और पांच केदारो में भी शामिल है |
2- उत्तराखंड में फेमस मंदिर कौन सा है?
Ans- उत्तराखंड का सबसे प्रसिद्द मंदिर बिनसर महादेव मंदिर है , जो रानीखेत - अल्मोड़ा में स्थित है | यहाँ ९/१० वीं शताब्दी में बांया गया था , जिसके कारण यहाँ सदियों से उत्तराखंड में प्रसिद्ध रहा है | यहाँ अपनी कला शैली के लिए भी जाना जाता है |
और केदारनाथ भी उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध मंदिर है , जहाँ हर साल लाखो लोग घूमने जाते है और बाबा केदार के दर्शन करते है | यहाँ साल भर बर्फ देखने को मिलती है अधिक ऊंचाई पर होने के कारन यहाँ का वातावरण काफी ठंडा रहता है |
3- उत्तराखंड में शिव जी का कौन सा मंदिर है?
Ans- उत्तराखंड में भगवन शिव को समर्पित बहुत सारे मंदिर है , जिनमे केदारनाथ सबसे ज्यादा प्रसिद्द धाम है, जो १२ ज्योत्रिलिंगो में से एक है | और अगर बात की जाय सबसे ऊँचे शिवमंदिर की तो इसमें प्रथम स्थान पर है तुंगनाथ मंदिर जो पञ्च केदारो में सबसे ऊँचा होने के साथ साथ शिवजी का सबसे ऊंचाई पर स्थित मंदिर है |